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१३ - वाँ वर्षावास
भगवान् राजगृह में
मध्यम पात्रा से ग्रामानुग्राम विहार करते हुए, अपने परिवार के साथ, भगवान् महावीर राजगृह पधारे। उस राजगृह नगर में पार्श्वनाथ भगवान् के सम्प्रदाय के बहुत-सी श्रावक-श्राविकाएं रहती थीं । राजगृह नगर के उत्तर-पूर्व दिशा में गुणशिलक नामक चैत्य था । भगवान् अपनी पर्षदा के साथ उसी गुणशिलक चैत्य में ठहरे ।
भगवान् के आने की सूचना जब राजा श्रेणिक' को मिली तो वह पूरी राजसी मर्यादा से अपने मंत्रियों, अनुचरों और पुत्रों को लेकर भगवान् की वन्दना करने चला ।
भगवान् के समक्ष पहुँचकर, श्रेणिक ने भगवान् की प्रदक्षिणा की, वन्दना की तथा स्तुति की ।
उनके बाद भगवान् ने धर्म देशना दी। प्रभु की धर्म देशना सुनकर श्रेणिक ने समकित ग्रहण किया और अभयकुमार आदि ने श्रावक-धर्म अंगीकार किया ।
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१--- रायगिहे नाम नयरे होत्या. रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए गुणसिलए नाम चेइए होत्था, सेखिए राया, चेल्ला देवी
- भगवतीसूत्र सटीक, शतक १, उदेश : १ सूत्र ४ पत्र १०-२ २- श्रेणिक पर राजाओं के प्रसंग में हमने विशेष विचार किया है । पाठक वहीँ देख लें ।
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