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________________ ६६० तीर्थङ्कर महावीर इसी अवसर पर आमलकप्पा के राजा सेय अपनी रानी धारिणी के साथ वंदना करने गया।' राजा सेय और देवी धारिणी भगवान् की देशना सुनकर अति आनंदित हुई। उन लोगों ने भगवान् की वंदना करके और नमन करके कितने ही शंकाओं का समाधान किया और भगवान् के यश का गुणगान करते हुए लौटे। संजय काम्पिल्यपुर नगर में संजय नामका एक राजा रहता था। एक दिन वह सेना और वाहन आदि से सज्ज होकर शिकार के लिए निकला और घोड़े पर आरूढ़ राजा केसर-नामक उद्यान में जाकर डरे हुए और श्रांत मृगों को व्यथित करने लगा। उस केसर-उद्यान में स्वाध्याय ध्यान से युक्त एक अनागार परम तपस्वी द्राक्षा और नागवल्ली आदि लताओं के मंडप के नीचे धर्मध्यान कर रहा था। उस मुनि के समीप आये मृगों को भी राजा ने मारा । १-तए णं से सेए राया नयणमाला सहस्सेहिं पेच्छिज्जमाणे पेच्छिज्जमाणे जाव सा णं धारिणी देवी जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता जाव समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति वंदति णमंसंति सेअरायं पुरो कह जाव विणएस पञ्चलिकडाओ पज्जुवासंति -रायसेणी, बेचरदास-सम्पादित, सूत्र १०, पत्र ४२ २-तएणं से सेय राया सा धारिणी देवी समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियया उठाए उ8ति उहिता सुक्खाए णं भन्ते । निग्गन्थे पावयण एवं जामेव दिसिं पाउब्भूयात्रो तामेव दिसिं पडिगयायो । -रायपसेणी बेचरदास-सम्पादित, सूत्र ११, पत्र ४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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