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________________ ६५८ तीर्थंकर महावीर मुनियों ने ग्यारहो अंगों का अध्ययन किया । कालान्तर में इन दोनों को केवलज्ञान हो गया । सिद्धार्थ पाटलिषंड - नामक नगर था । उसमें वनषंड नामक उद्यान था, जिसमें उम्बरदत्त नामक यक्ष का यक्षायतन था । उस नगर में सिद्धार्थ - नामक राजा था । जब पाटलिषंड-नामक नगर में भगवान् गये तो, सिद्धार्थ भी उनकी वंदना करने गया था । सेय स्थानांग - सूत्र में भगवान् महावीर से दीक्षा लेने वाले ८ राजाओं के नाम मिलते हैं; उनमें एक राजा से भी था । इस पर टीका करते हुए अभय - देवसूरि ने लिखा है:-- सेये आमलकल्पानगर्याः स्वामी, यस्यां हि सूर्याभो देवः सौधर्मात् देव लोकाद् भगवतो महावीरस्य वन्दनार्थमवततार १ -- उत्तराध्ययन सटीक, अध्ययन १० । २ - विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य - सम्पादित ) श्र० १, पृष्ठ ५१ । ३ – समणेां भगवता महावीरेणं अट्ठ रायाणो मुंडे मुंडे भवेत्ता आगारात अणगारितं पव्वाविता; तं ० वीरगंय, वीरजसे, संजम ए-ि ज्जते य रायरिसी । सेय सिवे उदायणे [ तह संखे कासिबद्धणे ] । 1 — स्थानांग सूत्र सटीक, स्थान ८, सूत्र ६२१ पत्र ( उत्तरार्द्ध ) ४३०–२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only अ० ७, www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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