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तीर्थंकर महावीर
मुनियों ने ग्यारहो अंगों का अध्ययन किया । कालान्तर में इन दोनों को केवलज्ञान हो गया ।
सिद्धार्थ
पाटलिषंड - नामक नगर था । उसमें वनषंड नामक उद्यान था, जिसमें
उम्बरदत्त नामक यक्ष का यक्षायतन था ।
उस नगर में सिद्धार्थ - नामक राजा था ।
जब पाटलिषंड-नामक नगर में भगवान् गये तो, सिद्धार्थ भी उनकी वंदना करने गया था ।
सेय
स्थानांग - सूत्र में भगवान् महावीर से दीक्षा लेने वाले ८ राजाओं के नाम मिलते हैं; उनमें एक राजा से भी था । इस पर टीका करते हुए अभय - देवसूरि ने लिखा है:--
सेये आमलकल्पानगर्याः स्वामी, यस्यां हि सूर्याभो देवः सौधर्मात् देव लोकाद् भगवतो महावीरस्य वन्दनार्थमवततार
१ -- उत्तराध्ययन सटीक, अध्ययन १० ।
२ - विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य - सम्पादित ) श्र० १, पृष्ठ ५१ ।
३ – समणेां भगवता महावीरेणं अट्ठ रायाणो मुंडे मुंडे भवेत्ता आगारात अणगारितं पव्वाविता; तं ० वीरगंय, वीरजसे, संजम ए-ि ज्जते य रायरिसी । सेय सिवे उदायणे [ तह संखे कासिबद्धणे ] ।
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— स्थानांग सूत्र सटीक, स्थान ८, सूत्र ६२१ पत्र ( उत्तरार्द्ध )
४३०–२ ।
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अ० ७,
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