________________
भक्त राजे
૬૭
चेल्लणा से उसे एक पुत्र था कूणिक | जैन ग्रन्थों में कूणिक का दूसरा नाम अशोकचंद्र' मिलता है ।
इनके अतिरिक्त श्रेणिक के अन्य पुत्र नन्दिषेण का भी उल्लेख जैनग्रन्थों में है ।'
મ
3
श्रेणिक को धारिणी से एक पुत्री भी थी । उसका नाम सोमश्री था । आवश्यकचूर्णि में आता है कि श्रेणिक ने अपनी एक पुत्री का विवाह राजगृह के कृतपुण्यक सेठ से किया था । कृतपुण्यक ने उसके हाथी सेचनक का प्राण मगर से बचाया था ।
भरतेश्वर बाहुबलि सज्झाय में उसकी एक लड़की का नाम मनोरमा दिया है ।"
जैन-ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि श्रेणिक ने अपने प्रधानमंत्री
१ – असोगवण चंद्र उत्ति सोगचंदुत्ति नामं च से कतं, तत्थ य कुक्कुडपिच्छेणं काणंगुली से विद्धा सुकुमालिया, साय पाउणति सा कुणिगा जाता, ताहे से दासा स्वेहिं कतं नामं कुणिश्रोत्ति । —आवश्यक चूर्णि, उत्तर भाग, पत्र १६७
२– त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक ३२०,
पत्र ८२-१
३ - राज्ञा निजपुत्र्याः सोमश्री इति नाम कृतन् ।
- कथा - कोष ( जगदीशलाल शास्त्री - सम्पादित ) पृष्ठ ६० कथाकोष - टानी - कृत अनुवाद पृष्ठ ८२
४ - आवश्यक चूर्णि - भाग १, पत्र ४६८
५ - प्रतिक्रमणसूत्र प्रबोध टीका, भाग २, पृष्ठ ५५८ तथा ५७३ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org