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भक्त राजे
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संखपाल - जातक में वर्णित कण्ह पेण्णा नदी भी वस्तुतः वही है । और, इसी को खारवेल के शिलालेख में कण्हवेण्णा कहा और वेण्णा दोनों नदियों के मिल जाने के बाद उसकी लिए कृष्णवेणी' तथा कण्णवण्णा, कण्णपेण्णा या कृष्णवेर्णा जैन ग्रन्थों में जिस रूप में यह वेण्णा शब्द मिलता है, ठीक उसी रूप में वह भागवत महापुराण में भी है।
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इस नदी की पहचान पहले महाराष्ट्र के भंडारा जिले में मिलने वाली वेण्णा ( वेण गंगा ) से की जाती थी; पर अब विद्वत्-समाज इस बात पर एकमत है कि कण्ण वेण्णा वस्तुतः कृष्णा नदी ही है, जो बम्बई प्रांत के सतारा जिले में महाबलेश्वर स्थान के उत्तर खड़ी पहाड़ी के नीचे एक मंदिर के कुण्ड के गोमुख से निकली है । और दक्षिण भारत के पठार पर से बहती हुई, पूर्वी घाट पार करके बंगाल की खाड़ी में गिरी है ।
गया है । ' कृष्णा
संयुक्त धारा के नाम आया है ।
खारवेल के शिलालेख में कृष्णा-वेण्णा के तट पर मूसिक नगर स्थित होने का उल्लेख है । कृष्णा की एक सहायक नदी मूसी भी है; जिसके तट पर हैदराबाद बसा है । अतः कल्पना करनी चाहिए कि मूषिक नगर मूसी और कृष्णा के संगम के आस ही पास रहा होगा ।
१ — हिस्टारिकल ज्यागरैफी आय ऐंशेंट इंडिया, पृष्ठ १६८ । २– द ज्यागरैफिकल डिक्शनरी, नंदलाल द- सम्पादित पृष्ठ १०४ । ३ – भारतीय इतिहास की रूपरेखा, भाग २, पृष्ठ ७१७ । ४ - वही, भाग २, पृष्ठ ७१६-७१७ ।
ज्यागरैफिकल डिक्शनरी, पृष्ठ १०४ । हिस्टारिकल ज्यागरैफी, पृष्ठ १६८ । इपिग्राफिका इ ंडिका, वाल्यूम २०, संख्या
५ - भारत की नदियाँ, पृष्ठ १२४ । ६—हिस्टारिकल ज्यागरैफी आव इंडिया, पृष्ठ १६८ ।
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७, पृष्ठ ८३ ।
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