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________________ तीर्थकर महावीर स जीयते वृषैर्नान्यः शूरः क्षेत्रवशात् ततः । तत्रर्षभपुरं न्यस्तमात्मानो वृद्धि मिच्छुभिः ॥ ४॥ क्रमात् तस्मिन्नपि क्षीणे कुशस्तम्बाङ्किताऽऽस्पदे । समस्त वस्तुविस्तीर्ण न्यस्तं कुशाग्रपत्तनम् ॥ ५॥' श्रेणिक का परिवार पत्नियाँ - बौद्ध-ग्रंथों में श्रेणिक को ५०० पत्नियाँ बतायी गयी हैं, पर जैनग्रन्थों में उसकी २५ रानियों के उल्लेख मिलते हैं। अन्तगडदसाओ में उसकी निम्नलिखित रानियों के उल्लेख है : १ नंदा, २ नंदमई, ३ नंदुत्तरा, ४ नंदिसेणिय, ५ मरुय, ६ सुमरुय, ७ महामरुय, ८ मरुदेवा, ९ भद्दा, १० सुभद्दा, ११ सुजाया, १२ सुमणा, १३ भूयदिण्णा । -अन्यत्र आता है। ४-काली, सुकाली, महाकाली, कण्हा, सुकण्हा, महाकण्हा, वीरकण्हा, य बोधव्वा रामकण्हा तहेव य ।। पिउसेण कण्हा नवमो दसमी महासेण कण्हा य । -अंतगडदसाओ, म० च० मोदी सम्पादित, १-ऋषिमण्डल प्रकरण वृत्ति, पत्र १४३-१ २–महाबग्गा ८-१-१५ ३-नंदा तह नंदवई नंदुत्तर नंदिसेणिया चेव । मरुय सुमरुय महसरुय मरुदेवा य अट्ठमा । भद्दा य सुभद्दा य सुजाया सुमणा वि य भूयदिण्णा य बोधवा सेणिय भज्जाणं नामाई ॥ -अंतगडदसाओ, सत्तमवग्ग, म० च० मोदी-सम्पादित पृ० ५२ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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