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भक्त राजे
६३१ उपदेशमाला सटीक, ऋषिमंडलप्रकरण', श्री भरतेश्वर-बाहुबलि वृत्ति, आवश्यकचूर्णि आदि ग्रंथों में थोड़े हेर-फेर से है।
'भभा' शब्द पर टीका करते हुए अभिधान-चिंतामणि की टीका में लिखा है
भंभा जय ढक्कैव समारमस्य भम्भासार
और 'भंभा' शब्द का स्पष्टीकरण करते हुए भगवतीसूत्र में आया है :
१–भम्भा भेरीति २-भंभा-ढक्का, भेरी'ति महाढक्का देशीनाम माला में 'भम्भा भेरी" लिखा है और उसकी टीका में 'भम्भा तुर्य विशेषः
लिखा है। शब्दार्थ-चिंतामणि में भेरी का अधिक अच्छा स्पष्टीकरण है :
वितस्ति त्रयदीर्घाताम्रनिर्मिता चर्मच्छन्ना
१-उपदेशमाला सटीक, पत्र ३३४ २-ऋषिमंडल प्रकरण, पत्र १४३-२ ३--श्रीभरतेश्वर बाहुबलिवृत्ति, प्रथम विभाग पत्र २२-२ ४–आवश्यकचूर्णि उत्तरार्द्ध पत्र १५८ ५–अभिधान-चिंतामणि, कांड ३, श्लोक ३७६, पृष्ठ २८५ ६-अभिधान राजेन्द्र, भाग ५, पृष्ठ १३३९ ७-भगवतीसूत्र सटीक शतक ५, उद्देशा ४, पत्र २१७ ८-देशी नाम माला वर्ग ६, श्लोक १०० ९—वही
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