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तीर्थकर महावीर धर्मों की पुस्तकों में रेशमी कपड़े के लिए प्रयुक्त हुआ है । अणुयोगद्वार सटीक सूत्र ३७, वृहत्कल्पसूत्र सटीक विभाग ४, गाथा ३६६२, पृष्ठ १०१८, आचारांग सटीक श्रु० २, चूलिका १, अध्याय १४, गाथा ३८८ पत्र ३६१-२ आदि प्रसंगों से स्पष्ट है कि 'पट्ट' का अर्थ क्या है। ____ बौद्ध-ग्रन्थ 'महावस्तु' में भी श्रेणियों के नाम गिनाये गये हैं:१ सौवर्णिक, २ हैरण्यिक, ३ चादर बेचने वाले (प्रावारिक ), ४ शंख का काम करने वाले (शांखिक), ५ हाथी दाँत का काम करने वाले (दन्तकार), ६ मणिकार, ७ पत्थर का काम करने वाले, ८ गंधी, ९ रेशमी कपड़े वाले, १० ऊनी कपड़े वाले (कोशाविक ), ११ तेली, १२ घी बेचने वाले (घृतकुंडिक), १३ गुड़ बेचने वाले ( गौलिक), १४ पान बेचने वाले ( बारिक ), १५ कपास बेचने वाले (कार्पासिक) १६ दही बेचने वाले ( दध्यिक), १७ पूये बेचने वाले (पूयिक), १८ खांड बनाने वाले (खंडकारक ), १९ लड्डू बनाने वाले (मोदकारक), २० कन्दोई ( कण्डुक), २१ आटा बनाने वाले ( सपितकारक), २२ सत्त, बनाने वाले ( सक्तुकारक), २३ फल बेचने वाले (फलवणिज), २४ कंदमूल बेचने वाले (मूलवाणिज), २५ सुगंधित चूर्ण और तैल बेचने वाले, २६ गुड़पाचक, २७ खांड बनाने वाले, २८ सोट बेचने वाले, २९ शराब बनाने वाले ( सीधु कारक) ३० शक्कर बेचने वाले (शर्कर वणिज ) ।
श्रेणियों की संख्या १८ ही बौद्ध-ग्रंथों में भी बतायी गयी
१-पट्टे-त्ति पट्टसूत्रं मलयम्-पत्र ३५-१ । २-'पत्ति पट्टसूत्रजम् । ३-पट्टसूत्र निष्पन्नानि पट्टानि । ४-महावस्तु भाग ३, पृष्ठ ११३ तथा ४४२-४४३ ।
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