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________________ ६२४ तीर्थंकर महावीर २-वसन्नृषि कुलेषु -रघुवंश १२, २५. और, उसके आगे चलकर उसका एक अर्थ 'कण्ट्री' (देश-जनपद) भी दिया है।' (३) राजेन्द्राभिधान, तृतीय भाग में कुल शब्द का अर्थ 'जनपदे', 'देश' भी दिया है। (४) शब्दार्थ-चिन्तामणि में भी 'कुल' का अर्थ 'जनपदे' दिया है। (५) शब्द स्तोम महानिधि में 'कुल' का अर्थ 'देशे' लिखा है। इससे स्पष्ट है कि यहाँ 'कुल' शब्द का अर्थ जनपद है और 'वाहीक कुल' उस जनपद का द्योतन करता है, जहाँ का यह वंश मूलतः रहनेवाला था । 'वाहीक' का उल्लेख महाभारत में निम्नलिखित रूप में आया है:(अ) पंचानां सिन्धुषष्ठानां नदीनां येऽन्तराश्रितः । __ वाहीका नाम ते देशाः.......। महाभारत ( गीता प्रेस ) कर्ण पर्व, अ० ४४, श्लोक ७, पृष्ठ ३८९३ (आ) उसी पर्व में अन्यत्र उल्लेख आया है: वाहिश्च नाम होकश्च विपाशायां पिशाचकौ । तयोरपत्यं वाहीकाः नैषा सृष्टि प्रजापतेः ॥ १-वही, कालम २. २-राजेन्द्राभिधान, भाग ३, पृष्ठ ५९३. ३-शब्दार्थ चिन्तामणि, प्रथम भाग, पृष्ठ ६३६. ४-शब्दस्तोम महानिधि, तारानाथ तर्कवाचस्पति भट्टाचार्यसम्पादित, पृष्ठ ११६. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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