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तीर्थकर महावीर इसी आधार पर इतिहासकार इस वंश का उल्लेख 'शिशुनाग-वंश' के रूप में करते हैं।
बौद्ध-ग्रन्थों में
१-पहली शताब्दि में हुए कनिष्क के समकालीन कवि अश्वघोष ने बुद्धचरित्र में इस कुल को हर्यक कुल बताया है। बुद्धचरित्र के सम्पादक तथा अनुवादक डाक्टर ई० एच० जांसन ने लिखा है कि मैं हर्यक शब्द को यंग-रूप में मानता हूँ, जो वृहद्रथ-वंश का राजा था और जिसकी महत्ता हरिवंश में वर्णित है । इस आधार पर उनका मत है कि शिशुनाग स्वयं वृहद्रथ-वंश का था।'
पर, इस कल्पना पर अपना मत व्यक्त करते हुए डाक्टर हेमचन्द्र राय चौधरी ने लिखा है कि इस 'हर्यक' शब्द का 'हयंग' शब्द से तुक बैठाने का कोई कारण नहीं है।
२-महावंस में इस कुल के लिए 'हर्यक-कुल' शब्द का उल्लेख नहीं .है । वहाँ इस कुल के लिए शिशुनाग-वंश ही लिखा है।
३–इस वंश का उल्लेख मंजुश्रीमूलकल्प में भी है, परन्तु उसमें उसके कुल के सम्बन्ध में कुछ नहीं कहा गया है। 1-नाश्चर्यमतेद्भवतो विधानं जातस्य हर्यक कुले विशाले । यन्मित्रपक्षे तव मित्र काम स्याद्रुत्तिरेषा परिशुद्धवृत्त ।
-बुद्धचरित्र, सर्ग ११, श्लोक २ २-बुद्धचरित्र, भाग २, पृष्ठ १४९
३-पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंशेट इण्डिया (पाँचवाँ संस्करण) पृष्ठ ११६.
४-महावंस ( बम्बई-विश्वविद्यालय ) परिच्छेद २, गाथा २७-३२ पृष्ठ १०, परिच्छेद ४ गाथा १-५ पृष्ठ १४
५-इम्पीरियल हिस्ट्री आव इण्डिया ( मंजुश्रीमूलकल्प, के० पी० जायसवाल-सम्पादित ), पृष्ठ १०-११
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