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तीर्थकर महावीर
शौरिकदत्त' शौरिकपुर-नामक नगर था। उसमें शौरिकावतंसक-नामक उद्यान था, जिसमें शौरिक-नामक यक्ष का यक्षायतन था।
उस नगर में शौरिकदत्त नामक राजा था। जब भगवान् ग्रामानुग्राम में विहार करते उस नगर में आये थे, तो शौरिकदत्त भी उनकी वंदना करने गया ।
श्रीदाम' मथुरा-नामक नगरी थी। उसके उत्तर-पूर्व में भंडीर नामक उद्यान था। उसमें सुदर्शन-नामक यक्ष का यक्षायतन था ।
उस नगर में श्रीदाम-नामक राजा था और बंधुश्री उनकी भार्या थी। भगवान् जब उस नगर में गये तो श्रीदाम भी उनकी (कूणिक की भाँति ) उनकी वंदना करने गया ।
श्रेणिक भंभासार भगवान् महावीर के समय में मगध की गणना अति शक्तिशाली राज्यों में था। उसकी राजधानी राजगृह थी। उस समय वहाँ श्रेणिक भंभासार नाम का राजा राज्य कर रहा था। - १-विपाकसूत्र (पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) श्रु०१, अ०८, पृष्ठ ५८
२-विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ), श्रु० १ अ०६, पृष्ठ ४५-४६
३-वृहत् कल्पसूत्र सटीक, विभाग ३, पृष्ठ ९१३ ।
विशेष जानकारी के लिए देखिये तीर्थंकर महावीर भाग १, पृष्ठ ४२ से ५३ तक । आजकल यह राजगिर नाम से प्रसिद्ध है। यह रेलवे स्टेशन भी है और विहारशरीफ से १५ मील की दूरी पर है।
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