________________
६०८
तीर्थङ्कर महावीर
उस नगर में मित्रनन्दी राजा था। श्रीकान्ता उनकी मुख्य देवी थी और वरदत्त कुमार था।
उस नगर में भगवान् महावीर का आना समवसरण आदि अदीनशत्रु ने समान समझ लेना चाहिए और सुबाहु के समान वरदत्त ने भी पहले श्रावक-धर्म स्वीकार किया और बाद में साधु हो गया।
वासवदत्त' विजयपुर-नामक नगर था। वहाँ नंदन-वन नामक उद्यान था। उस उद्यान में अशोक-नामक यक्ष था ।
उस नगर में वासवदत्त नामक राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी का नाम कृष्णा था। उनको सुवासव-नामका पुत्र था । भगवान् के आने पर वासवदत्त उनके समवसरण में गया । ( यह पूरा विवरण अदीनशत्रु-सरीखा जान लेना चाहिए)
सुवासव ने पहले श्रावक-धर्म स्वीकार किया और बाद में साधु हो गया । ( सुवासव का विवरण सुबाहु-सा ही है )
विजय भगवान् महावीर के काल में पोलासपुर में विजय-नामका राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम श्री था। उस राजा विजय और रानी श्री को एक पुत्र था। उसका नाम अतिमुक्तक ( अइमुत्ते ) था ।' उस पोलासपुर नामक नगर के निकट श्रीवन-नामक उद्यान था।
१-विपाकसूत्र (पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) श्रु० २, अ० ४, पृष्ठ ८१
२-तणं कालेणं २ पोलासपुर नयरे, सिरिवणे उज्जाणे। तत्थणं पोलासपुरे नयरे विजए नाम राया होत्था । तस्सणं विजयस्स रन्नो सिरी नामं देवी होत्था ।..."तस्स णं विजयस्स रन्नो पुत्त सिरीए देवीए अत्तए अइमुरो नाम कुमारे होत्था ।
-अंतगडदसाओ, एन० वी० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ३४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org