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________________ भक्त राजे ६०५ "पोतनपुर में सोमचन्द्र-नामक राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी का नाम धारिणी था । एक दिन धारिणी ने सोमचन्द्र का ध्यान उनके पके बाल की ओर आकृष्ट किया। बाल देखकर गृहत्याग करने का विचार आते ही सोमचन्द्र ने राज्य अपने पुत्र प्रसन्न चन्द्र को दे दिया और दिगप्रोषित तापस के रूप में जंगल में रहने लगे। वहाँ उनके साथ उनकी पत्नी और एक धाई भी थी। __ "यहीं वन में धारिणी को एक पुत्र हुआ। उसका नाम वल्कलचीरिन् पड़ा। उसके बचपन में ही धारिणी की मृत्यु हो गयी और धाई भी मर गयी । सदा जंगल में ही रहने से तापसों को ही देखने का उसे अवसर मिलता और वह जानता भी नहीं था कि नारी क्या है ?" "वन में अपने एक भाई होने की बात सुनकर प्रसन्नचन्द्र ने बड़े प्रयत्न से वल्कलचीरिन् को पोतनपुर मँगाया । "छोटे पुत्र के गुम हो जाने से सोमचन्द्र अंधे हो गये । यद्यपि उन्हें समाचार मिल गया था कि वल्कलचीरिन् अपने भाई के साथ है, पर वह बहुत दुःखी रहते। "बारह वर्षों के बाद, एक बार प्रसन्नचन्द्र और वल्कलचीरिन् अपने पिता को देखने गये । सोमचन्द्र पुत्रों को पाने के हर्ष में रो पड़े। रोतेरोते उनकी नेत्र की ज्योति भी पुनः वापस आ गयी । ___ "वल्कलचीरिन् भी एक प्रत्येकबुद्ध हो गये। पिता से मिल कर प्रसन्नचन्द्र पोतनपुर लौटे और अपना राजकार्य सँभालते रहे और यहीं मैंने उन्हें दीक्षा दी।" प्रियचन्द्र' कनकपुर-नामक नगर था। श्वेताश्वेत-नामक उद्यान था । उसमें वीरभद्र नामक यक्ष का यक्षायतन था । १विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) श्रु. २, अ० ६, पृष्ठ ८२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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