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तीर्थकर महावीर उसे दिखा दिया । मुख देखकर उस चतुर चित्रकार ने उस दासी का सम्पूर्ण रूप यथार्थ उतार दिया । उसे देखकर राजा आश्वस्त हो गया। पर, ईर्ष्या वश उसने उसके दाहिने हाथ का अँगूठा कटवा दिया ।
राजा के इस दुर्व्यवहार से चित्रकार को भी क्रोध आया। और, उसने बदला लेने का निश्चय कर लिया । ____ इस विचार से उसने अनेक आभूषणों सहित मृगावती देवी का एक चित्र अंकित किया। और, उसे लेजाकर प्रद्योत को दिखाया। चित्र देख कर प्रद्योत ने चित्र की बड़ी प्रशंसा की और पूछा “यह चित्र किसका है ?" राजा को इस प्रकार मुग्ध देखकर चित्रकार बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने कहा-“हे राजा ! यह चित्र कौशाम्बी के राजा शतानीक की पत्नी मृगावती देवी का है।" मृगावती पर मुग्ध चंडप्रद्योत ने वज्रजंघ नामक दूत को समझा-बुझाकर शतानीक के पास भेजा । उसने जाकर शतानीक से मृगावती को सौंप देने का संदेश कहा । शतानीक इसे सुनकर कड़ा क्रद्ध हुआ।
इस पर क्रुद्ध होकर चंडप्रद्योत ने कौशाम्बी पर आक्रमण कर दिया । युद्ध में चंडप्रद्योत ठहर न सका । पर, कुछ समय बाद शतानीक को अतिसार हुआ और वह मर गया ।
मृगावती देवी को विचार हुआ कि, मेरे पति तो मर गये और हमारा पुत्र उदयन तो अभी बहुत छोटा है। अतः चतुराई पूर्ण ढंग से उसने प्रद्योत को संदेश कहलाया । दूत ने जाकर प्रद्योत से कहा-"देवी मृगावती ने कहलाया है कि, मेरे पति शतानीक राजा का स्वर्गवास हो गया है। इसलिए मैं तो आपकी शरण में हूँ। लेकिन, मेरा पुत्र अभी बिलकुल बच्चा है । पिता के निधन की विपत्ति के शिकार उस बच्चे को यदि छोड़ दूं तो शत्रु राजा उसे तबाह कर डालेंगे।"
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