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भक्त राजे
५८७ आता है कि वह पक्की श्राविका थी।' कथासरित्सागर में अंगारवती को अंगारक-नामक दैत्य की पुत्री बताया गया है।
इसकी एक रानी का नाम मदनमंजरी था । वह दुम्मुह प्रत्येकबुद्ध की लड़की थी। इस विवाह का विवरण दुम्मुह के प्रसंग में सविस्तार दिया गया है।
भास ने प्रद्योत के दो पुत्रों का उल्लेख किया है.--गोपालक और पालक । और उसमें उसकी एक पुत्री का उल्लेख भी है-उसका नाम वासुदत्ता दिया है । हर्षचरित्र में उसके एक और पुत्र का उल्लेख आता है और उसका नाम कुमारसेन बताया गया है। बौद्ध-परम्परा की कथा है कि यह गोपालक की माँ एक श्रेष्ठि की पुत्री थी। उसके रूप पर मुग्ध होकर प्रद्योत ने उससे विवाह कर लिया था।
जैन ग्रंथों में खंडकम्म को प्रद्योत का एक मंत्री बताया गया है। कुछ ग्रंथों में उसके मंत्री का नाम भरत दिया गया है।
यह प्रद्योत बड़ा दम्भी राजा था । अपने निकटवर्ती प्रदेशों पर विजय प्राप्त करने बाद वह दूर-दूर तक के राजाओं से आजीवन लड़ता ही रहा ।
१-आवश्यकचूर्णि, भाग २, पत्र १९९
२-मध्यभारत का इतिहास ( हरिहरनिवास द्विवेदी-लिखित) प्रथम खंड, पृष्ठ १७५
३-जैन-ग्रंथों में भी वासवदत्ता के नाम का उल्लेख है और उसे अंगारवती का पुत्री बताया गया है। आवश्यकचूर्णि, उत्तराई पत्र १६१
आवश्यक-नियुक्ति-दीपिका, भाग २, पत्र ११०-१ गाथा १२८२ में गोपाल और पालक का उल्लेख आया है और उन्हें प्रद्योत का पुत्र बताया गया है।
४-उजयिनी इन ऐंशेंट इण्डिया, ला-लिखित, पृष्ठ १४ । मध्यभारत का इतिहास द्विवेदी-लिखित, भाग १, पृष्ठ १७५ ।
५-लाइफ इन ऐशेंट इंडिया, पृष्ठ ३९४ ६.-उज्जयिनी-दर्शन, ( मध्य भारत सरकार ) पृष्ठ १२
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