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तीर्थंकर महावीर और बहुत बड़ो सेना का अधिपति होने से उसे महासेन भी कहा जाता था।
पुराणों में कथा आती है कि उसका पिता पुलिक ( अथवा पुणिक) अवंति-नरेश का अमात्य था। उसने अपने मालिक को मार कर अपने पुत्र को राजा बनाया । पुराणों के अनुसार वह अपने वंश का मूल पुरुष हुआ।
कथा-सरित्सागर में इससे भिन्न उसका वंश-वृक्ष दिया गया है । उसने महेन्द्रवर्म से उस वंश का प्रारम्भ बताया गया है। महेन्द्रवर्म के पुत्र का नाम जयसेन लिखा है और इसी जयसेन को प्रद्योत का पिता बताया है ।
मल्लिषेण ने अपने ग्रन्थ नागकुमारचरित्र में उज्जयिनी के राजा का नाम जयसेन उसकी रानी का नाम जयश्री और उसकी पुत्री का नाम मेनकी लिखा है। यह जयसेन कथासरित्सागर वाले जयसेन से भिन्न है या वही, यह नहीं कहा जा सकता।
दुल्व (तिब्बती-विनयपिटक ) में प्रद्योत के पिता का नाम अनन्तनेमि लिखा है।
तिब्बत की बौद्ध-अनुश्रुति में यह बताया गया है कि, जिस दिन उसका जन्म हुआ, उसी दिन बुद्ध का भी जन्म हुआ था। उसका नाम प्रद्योत
१-उज्जैनी इन ऐशेंट इंडिया पेज १३। भगवतीसूत्र सटीक शतक १३, उ० ६, पत्र ११३५ में उद्रायण के साथ जो महासेण का नाम आया है, वह चंडप्रद्योत के लिए है । इस महासेण का उल्लेख उद्धराध्ययन नेमिचन्द्र सूरि की टीका सहित पत्र २५२-१ में भी है।
२-कथासरित्सागर १२॥१६६ । ३-राकहिल लिखित लाइफ आव बुद्ध, पेज १७ ।
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