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________________ ५६७ भक्त राजे रखा। बचपन में पाँच धाइयों ने उस बालक की देखरेख को । आठ वर्षों की उम्र होने पर पद्मरथ ने उस बच्चे को कलाचार्य के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा । युवा होने पर पद्मरथ ने इक्ष्वाकुवश के १००८ कन्याओं से उसका विवाह कर दिया। ___ उस नमि को गद्दी सौंपकर पद्मरथ ने दीक्षा ले ली और कालान्तर में मोक्षपद प्राप्त किया। ___उधर सुदर्शन-नामक नगर में घटना यह घटी कि, जिस रात्रि को मणिरथ राजा ने युगवाहु को मारा, उसी रात्रि में सर्प काटने से मणिरथ का देहांत हो गया और वह चौथे नरक में गया । मंत्रियों ने चंद्रयश को गद्दी पर बैठाया और दोनों भाइयों का अग्नि-संस्कार एक साथ ही किया । ____एक बार नमिराजा का श्वेत पट्टहस्ती उन्मत्त होकर विंध्याचल की ओर भागा। जब वह हाथी सुदर्शनपुर के पास से जा रहा था, राजा के कर्मचारियों ने इसकी सूचना राजा को दी। चंद्रयश ने बड़े परिश्रम से उस हाथी को नगर में प्रवेश कराया। ___अपने हाथी का समाचार पाकर नमि राजा ने हाथी माँगने के लिए चंद्रयश के पास दूत भेजा । पर चंद्रयश ने कहा-"जो बलवान होता है, वही रत्न धारण करता है । कोई रत्न को वापस नहीं करता।" समाचार सुनकर नमि राजा मुदर्शनपुर की ओर चला। सुदर्शनपुर का नगरद्वार बंद कर दिया गया और नमि की सेना ने सुदर्शनपुर घेर लिया। ___युद्ध का समाचार सुनकर साध्वी मदनरेखा ने जाकर नमि को समझाया कि तुम दोनों भाई परस्पर न लड़ो। नमि के न मानने पर वह चंद्रयश के पास गयी । चंद्रयश अपनी माँ को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ । १-खीरधाईए, मज्जणधाईए, कीलावणधाईए, मंडणधाईए, अंकधाईए -नायाधम्मकहानो पेज २१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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