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भक्त राजे
नमि प्रत्येकबुद्धों वाला प्रकरण देखिए (पृष्ठ ५६४)
पुण्यपाल देखिए तीर्थकर महावीर भाग २ पृष्ठ २९७
प्रत्येकबुद्ध जैन ग्रन्थों में ४ प्रत्येकबुद्ध बताये गये हैं :-करकंडु, दुम्मुह, नमि और नग्गइ । प्रत्येकबुद्धों की गणना १५ प्रकार के सिद्धों में की गयी है। नन्दीसूत्र सटीक में ( सूत्र २१, पत्र १३०.१) आता है :--
से किं तं अणंतरसिद्धकेवलनाणं ? अणंतरसिद्ध केवलनाणं पण्णरसविहं पराणत्तं, तं जहा–तित्थसिद्धा (१) अतित्थ-- सिद्धा (२) तित्थयरसिद्धा (३) अतित्थयरसिद्धा (४) सयंवुद्ध सिद्धा (५) पत्तेयबुद्धसिद्धा (६) बुद्धबोहियसिद्धा (७) इथिलिंगसिद्धा (८) पुरिसलिंगसिद्धा (६) नपुंलगलिंगसिद्धा (१०), सलिंगसिद्धा (११), अन्नलिंगसिद्धा (१२) गिहिलिंगसिद्धा ( १३) एगसिद्धा (१४) अणेर सिद्धा (१५) सेतं अणंतरसिद्ध केवलनाणं
ऐसा ही नवतत्त्व-प्रकरण की ५५-वी गाथा में भी उल्लेख है। जिण, अजिण, तित्थऽतित्था, गिहिअन्नसलिंग थी नर नपुंसा । पत्तय सयंबुद्धा, बुद्ध बोहिय इक्कणिक्का य॥ ५५ ॥
-नवतत्त्वप्रकरण सुमंगाला टीका सहित, पत्र १६४-२ प्रत्येकबुद्धों के लिए कहा गया है.
"प्रत्येकबुद्धास्तु बाह्यप्रत्ययमपेक्ष्य बुध्यन्ते, प्रत्येक-बाह्य वृषभादिकं कारणमभिसमीक्ष्य बुद्धाः प्रत्येकबुद्धाः इति व्युत्पत्तेः, तथा च श्रयते-वाह्य वृषभादि प्रत्ययसापेक्षा करकंड्वादीनां
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