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तीर्थंकर महावीर
साँची - भिलसा से ५ || मील दक्षिण-पश्चिम सोनारी - साँची से ६ मील दक्षिण-पश्चिम सतधारा - साँची से ६ || मील पश्चिम
भोजपुर- साँची से ७ मील पूर्व दक्षिण-पूर्व । भेलसा से ६ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व
अंधेर – भोजपुर से ४ मील पूर्व दक्षिण-पूर्व । भिलसा से ९ मील पूर्वदक्षिण-पूर्व ।
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द्विमुख
प्रत्येकबुद्ध वाले प्रकरण में देखिए ( पृष्ठ ५६३ )
धनावह'
ऋषभपुर नामक नगर में स्तूपकरंडक - नामक उद्यान था उस उद्यान में धन्य - नामक यक्ष का यक्षायतन था ।
उस नगर में धनावह नामक राजा राज्य करता था । उसकी देवी का नाम सरस्वती था । उन्हें भद्रनन्दी नामक पुत्र था । ( जन्म, शिक्षा-दीक्षा, विवाह आदि का विवरण सुबाहुकुमार की तरह जान लेना चाहिए )
एक बार भगवान् महावीर ऋषभपुर आये । धनावह भद्रनन्दी आदि वंदना करने गये ( यहाँ समस्त विवरण अदीनशत्रु-सा समझ लेना चाहिए | ) भद्रनन्दी ने भगवान् के सम्मुख श्रावक-धर्म स्वीकार किया । कालान्तर में इसे प्रत्रजित होने का विचार हुआ और यह भी सुबाहुकुमार के समान प्रवजित हो गया ।
नग्गति प्रत्येकबुद्ध वाले प्रकरण में देखिए ( पृष्ठ ५६९ )
१ - विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ), द्वितीय श्रुतस्कंध, अ०
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