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तीर्थकर महावीर इस दशाणपुर की पहचान विदिशा अथवा वर्तमान भिलासा से की जाती है । इसका नाम भिलसा पड़ने के कारण पर प्रकाश डालते हुए कनिंघम ने 'रिपोर्ट आव टूर्स इन बुंदेलखंड ऐंड मालवा इन १८७४-७५ ऐंड १८७६-७७' में लिखा है कि यहाँ सर्वसाधारण में विख्यात है कि राजा भीलू अथवा भिलस द्वारा बसाये जाने के कारण इसका नाम मिलसा पड़ा।
__ पर, डाक्टर हाल ने भिलसा नाम पड़ने का एक सर्वथा भिन्न कारण बताया है। उन्होंने लिखा है कि, यहाँ भाइल नामक सूर्यमंदिर राजा कृष्ण के मंत्री वाचस्पति ने बनवाया था। उस भाइल सूर्य मंदिर के ही कारण इसका नाम भिलसा पड़ा।
उदयपुर के शिलालेख में 'भाइल स्वामी-महाद्वादशकमंडल' शब्द आया है । यह शिलालेख १२२९ वि०स० का है।
डाक्टर कनिंघम ने अपनी उसी पुस्तक में भाइलस्वामी शब्द पर व्याख्या करते हुए लिखा है-'भा' का अर्थ प्रकाश होता है और 'इल' का अर्थ प्रस्फुटित करना, बिखेरना आदि हुआ। अतः भाइल का अर्थ प्रकाश विकरित करने वाला । 'भाइल' और 'ईश' मिलकर भैलेश हुआ । उसी का विकृत रूप मिलसा बना ।
भाइलस्वामी के सम्बन्ध में उल्लेख जैन-ग्रन्थों में भी आता है। विविधतीर्थकल्प में 'चतुरशीति महातीर्थ नाम संग्रहकल्प" में "भाइल
१- पृष्ठ ३४ ( बाल्यूम १०, आालाजिकल सर्वे आव इंडिया, १५८०) २-बंगाल एशियाटिक सोसाइटी जर्नल XXXI, ॥ ११२ नोट एपीग्राफिका इंडिया, वाल्यूम २४, भाग ५, अं० ३० पष्ठ २३१ ३-एपीग्राफिका इडिया वाल्यूम २४, भाग ५, पृष्ठ २३१ ४-रिपोर्ट आव टूर्स इन वुलेन्दखंड ऐंड मालवा इन १८७४-७५ पृष्ठ ३४ ५-विविधतीर्थ कल्प पृष्ठ ८६.
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