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________________ भक्त राजे ५४५ इसके अतिरिक्त कालिदास के मेघदूत' और कादम्बरी' में भी इस नगर का उल्लेख है। प्राचीन जैन-ग्रन्थों में इस दशार्ण-राज्य की राजधानी मृतिकावती बतायी गयी है। इस मृत्तिकावती नगर का उल्लेख हिन्दू-वैदिक-ग्रन्थों में भी आया है । यादव-राज्य सात्वत के चार लड़कों में बँट गया था और वभ्र और उसके वंशज मृत्तिकावती में राज्य करते रहे। एक अन्य विवरण में आता है कि, दो भाइयों ने अपने सबसे छोटे भाई को घर से निकाल दिया तो वह नर्मदा, मेकला, मृत्तिकावती और ऋक्ष-पर्वत में अपना दिन बिताने लगा। ___मृत्तिकावती का उल्लेख पुराणों में अन्य प्रसंगों में भी आया है:मारकंडेय-पुराण के अपने अनुवाद में (पृष्ठ ३४२ ) पार्जिटर ने भोज शब्द पर पादटिप्पणि में लिखा है कि भोज लोग मृत्तिकावती में रहते थे और पृष्ठ ३४९ पर भी मृत्तिकावती का उल्लेख पादटिप्पणि में किया है। ____ दशार्ण की ही राजधानी दशार्णपुर भी बतायी गयी है । जैन-ग्रन्थों में इस नगर का उल्लेख ठाणांग, आवश्यकचूर्णि, आवश्यक की टीका आदि ग्रन्थों में आता है। १-तेषां दिचु प्रथित विदिशा लक्षणां राजधानी, गत्वा सद्यः फलमविकलं कामुकत्वस्य लब्धा । तीरोपान्तस्ततिनसुभगं पास्यसि स्वादु यस्मा। सभ्रमङ्ग मुखमिव पायो वैभवत्पाश्ललोमि-मेघदूत, पूर्वमेघ, श्लोक २४ । २-माल्या वेत्रवत्या परिगता विदिशामिधाना राजधान्यसीत् ३-ऐश इंडियन हिस्टारिकल ट्रटिशन पृष्ठ २७६, भारतीय इतिहास की रूपरेखा, भाग १ पृष्ठ १५६ ४-ऐशेंट इडियन हिटीरिकल टेडिशन, पेज २६६ ५-ठाणांगमूत्र सटीक, उतराई, पत्र ५१०.२ ६-आवश्यकचूर्णि, उतराद्ध, पत्र १५६ कादंबरी ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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