________________
५४४
तीर्थकर महावीर श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण में उल्लेख है कि यह नगर शत्रुघ्न के लड़के शत्रुघाती को दिया गया ।'
सुबाहुर्मधुरां लेभे शत्रुघाती त वैदिशाम् ।
- रामायण, उत्तरकाण्ड, सर्ग १८०, श्लोक ९, द्वितीय भाग पृष्ठ ४४० ।
'महाभारत' में भी दशार्ण का उल्लेख कई स्थलों पर आया हैउत्तमाश्च दशार्णाश्च मेकलाश्चोत्कलैः सह । पज्वालाः कोसलाश्चैव नैक पृष्ठा धुरन्धराः॥ -महाभारत, भीष्म पर्व, अध्याय ९, श्लोक ४१, पृष्ट १५ ।
इसके अतिरिक्त महाभारत में समापर्व ३०१५ तथा उद्योगपर्व १८९।९ में भी दशार्ण का उल्लेख आया है।
पतंजलि-भाष्य में भी दशार्ण का उल्लेख है ।' कुछ स्थलों पर इस राज्य का नाम आकर भी आया है ।
१-विमलचरण ने अपनी पुस्तक 'हिस्टारिकल ज्यागरैफी अाध ऐशेंट इंडिया' [पृष्ठ ३३६] में लिखा है कि, इस नगर को रामचन्द्र ने अपने भाई शत्रुघ्न को दिया
और पता दिया है ( उत्तर काण्ड, अध्याय १२१ ) पर वस्तुतः शत्रुघ्न के पुत्रों के सम्बन्ध में वहाँ उल्लेख है कि, सुबाहु को मथुरा और शत्रुघाता को विदिशा शत्रुघ्न ने दिये । भगवतदत्त ने अपनी पुस्कक 'भा तवर्ष का इतिहास' पृष्ट १११ पर उक्त श्लोक की ठीक व्याख्या दी है।
२-महाभाष्य : ६-१-८६-२१-६६ और देखिये 'इंडिया .इन दो टाइम श्राव पतंजलि,' पृष्ट ८५ ।
३-देखिए सिलेक्ट इंस्कृप्शंस [ दिनेशचन्द्र सरकार-सम्पादित ] भाग १, पृष्ठ १७२ जूनागढ़ का रुद्रदामन का शिलालेख और पृठ १६६ पर नासिका का वासिष्ठीपुत्र पुलूमावी का शिलालेख तथा पाठ ६० की पादटिप्पणि । मध्यभारत का इतिहास, द्विवेदी लिखित, पृष्ठ ३३ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org