SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 605
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भक्त राजे ५३७ .४ालभिया-आलभिया के राजा का नाम भी जितशत्रु था ।' भगवान् महावीर जब वहाँ गये और समवसरण हुआ तो वह भी वहाँ वंदना करने गया। ५-कंपिलपुर-कंपिलपुर के राजा का भी नाम जितज्ञत्रु था।' महावीर जब वहाँ गये, तो जितशत्रु भी समवसरण में आया और उसने भगवान् की वंदन की। ६-पोलासपुर-पोलासपुर के राजा का नाम जितशत्रु था। भगवान् महावीर जब वहाँ गये, तो समवसरण में जितशत्रु भी गया और उसने भी भगवान् की वंदना की। ७-सावत्थी-~-श्रावस्ती के राजा का भी नाम जितशत्रु था। भगवान् के वहाँ जाने पर उसने समवसरण में जाकर भगवान् की वंदना की। ८-काकंदी-काकंदी के राजा का भी नाम जितशत्रु था। १-पालभिया नाम नगरी..."जियसत्त राया - उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ४१ २-कंपिल्लपुरे नयरे ...जियसत्त राया - उवागदसाओ, पी० एल०वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ४३ ३.-पोलासपुरे नामं नयरे ''जितसत्त राया - उवासगदसाओ, पी० एल. वैद्य सम्पादित, पृष्ठ ४७ .४-...सावत्थी नयरी...जियसत्त राया - उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित पृष्ठ ६६ सावत्थी नयरी...जियसतू राया ---उवासगदसाओ, पी० एल० बैद्य सम्पादित, पृष्ठ ७० ५-कागन्दी नामं नयरी होत्था ।...जियसतू राया - ऋगुतरोववाइयदसाओ, एन० वी वैद्य सम्पादित, पृष्ठ ५१ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy