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________________ ५३६ तीर्थकर महावीर १--वाणियागाम-वाणियाग्राम के-भगवान् महावीर कालीनराजा का नाम जितशत्रु' था । भगवान् महावीर विहार करते हुए एक बार वाणियागाम पधारे । समवसरण हुआ। उसमें जितशत्रु भी गया। और कृणिक के समान उसने भी भगवान् की वंदना को ।। . २-चम्पा-चम्पा के भी एक राजा जितशत्रु का उल्लेख मिलता है। भगवान् महावीर एक बार चम्पा गये। समोसरण हुआ और जित शत्रु ने भगवान् की वंदना की। ३--वाराणसो-वाराणसी के तत्कालीन राजा का नाम जितशत्रु था। भगवान् जब काशी गये तो समोसरण हुआ और उसमें जितशत्रु भी भगवान् की वंदना करने गया । १-वाणियगामे नगरे जियसत्त नाम राया होत्था -उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ४ २-तणं कालेणं तेणं समएणं भगवं महावीरे जाव समोसरिए । परिसा निग्गमा । कूणिए राया जहा तहा जितसत्त निग्गच्छइ २ चा जाव पज्जुवासइ । -उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ २५ ३-(अ) तेणं कालेणं तेणं समरणं चंपा नामं णगरी होत्था । जियसत्त राया । -उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पष्ठ २२ (आ) चम्पा नाम नयरी..."जियसत्त नामं राया -नायाधम्मकहाओ, अध्ययन १२, पष्ठ १३५ ( एन० वी० वैद्य-सम्पादित ] ४-जहा आणन्दे तहा निग्गए -उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ २२ ५-वाराणसी नामं नगरी ।... जियसत्त राया -उवासगदसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, ५४ ३२ तेणं कालेणं तेषां समए णां वाणारसी नामं नगरी । "जियसत्त राया -उपासगसाओ, पी० एल० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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