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________________ भक्त राजे ५३३ महाराज चेटक की सब से बड़ी पुत्री प्रभावती का विवाह वीतभय' के राजा उद्रायण से हुआ था। उसकी दूसरी पुत्री पद्मावती का विवाह अंग देश के राजा दधिवाहन से, मृगावती का वत्स देश के राजा शतानीक से, शिवा का उज्जयिनी के राजा प्रद्योत से, ज्येष्ठा का महावीर स्वामी के बड़े भाई नन्दिवर्द्धन से हुआ था । मुज्येष्ठा और चेल्लणा तब तक क्वारी थीं। बाद में चेल्लण का विवाह मगध के राजा श्रेणिक से हो गया और सुज्येष्ठा साध्वी हो गयी। इसकी कथा इस प्रकार है । __ मगध के राजा श्रेणिक ने चेटक की पुत्री सुज्येष्ठा के रूप और यौवन की ख्याति सुनकर चेटक के पास विवाह का संदेश भेजा। इस-पर चेटक ने उत्तर दियाः वाहीक कुल जो वाञ्छन् कन्यां हैहयवंशजां ॥ समान कुलयोरेव विवाहो हन्त नान्ययोः। तत्कन्यां न हि दस्यामि श्रेणिकाय प्रयाहि भोः ॥ १-जैन-ग्रन्थों में २५॥ आर्यदेशों की जहाँ गणना है, उनमें एक आर्यदेश सिंधु-सौवीर भी बताया गया है। उसी की राजधानी वीतभय थी। विशेष विवरण के लिए देखिए, तीथकर महावीर, भाग १, पष्ठ ४२-४६ २--कुछ लोग भूल वश इस राजा का नाम उदायन लिखते है। मालवणिया ने स्थानांग समवामांग में भी इसी रूप में इसका नाम लिखा है। पर, उसका सही न म उद्रायण है। मेरे पास आवश्यक नियुक्ति की हस्तलिखित पोथी हरिभद्र की वृत्ति माहित है। उसमें उद्रायण हो लिखा है ! तिब्बती मूल के साथ उद्रायणवदान का जर्मन अनुवाद प्रकाशित हुआ है। उसमें (भाग २, पृष्ठ ८४ ) भी उद्रायण शब्द ही है। उतराध्ययन की नेमिचंद्र की टीका ( पत्र २५५.२) में उद्दायण शब्द है। ऐसा ही उपदेशमाला सटीक [ श्लोक ६६, पत्र ३३८ ] में भी है। उद्दायरा का संस्कृत रूप उद्रायण होगा, न कि उदायन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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