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तोर्थकर महावीर अध्यक्ष थे, यह वैशाली के एक सफल गणराज्य होने का बड़ा प्रबल प्रमाण है।
हेमचन्द्राचार्य ने चेटक की पत्नी का नाम पृथा लिखा है ।
महाराज चेटक का पारिवारिक-सम्बन्ध उस काल के प्रायः सभी बड़े-बड़े कुलों से था । भगवान् महावीर की माता त्रिशला महाराज चेटक की बहन थीं। - महाराज चेटक को सात पुत्रियाँ थीं। १ प्रभावती, २ पद्मावती, ३ मृगावती, ४ शिवा, ५ ज्येष्ठा, ६ सुजेष्ठा और ७ चेल्लणा।"
(१) पृथापाशीभवास्तस्य बभूवः सप्त कन्यकाः -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ६ श्लोक १८६, पत्र७७-२ हरिषेणाचार्य ने वृहत्कथाकोप में लिखा है:(अ) भद्राभावा सुभद्राऽस्य बभूव वनितोत्तमा । -पृष्ठ ८३ (श्रा) सुभद्राख्या महादेवी भद्रभावा प्रियंवदा -पृष्ठ२३३
-अर्थातू महाराज चेटक की पत्नी का नाम सुभद्रा था। डाक्टर याकोबी ने भी 'सेक्रेड बुक्स पाव द ईस्ट' वाल्यूम २२ ( आचारांग तथा कल्पसूत्र ) की भूमिका में (पृष्ठxV पर जहाँ वंश-वृक्ष दिया है, वहाँ चेटक की पत्नी का नाम सुभद्रा ही लिखा है; पर डाक्टर महोदय ने वहाँ इसके संदर्भ-ग्रन्थ का कोई हवाला नहीं दिया है।
२-भगवतो माया चेडगस्स भगिणी--आवश्यकचूर्णि, भाग १, पत्र २४५ . ३–सत्त धूतानो-पभावती, पउमावती, मिगावती, सिवा, जेट्टा,
सुजेट्ठा, चेल्लणाति पभावती वीतिभए उदायणस्स दिण्णा, पउमावती चंपाए दहिवाणस्ल, मिगावती कोसंबीए सताणियस्स, सिवा उज्जेणीए पज्जोतस्ल, जेठा कुंडग्गामे वदमाण सामिणो जेठस्स नंदिवद्धरास्स दिगण
-आवश्यकचूणि. भाग २, पत्र १६४. ऐसा ही उल्लेख आवश्यक हारिभद्रीय वृति-पत्र ६७६-२, त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक १८७, पत्र ७७-२, तथा उपदेशमाला सटीक पत्र ३३८ में भी है।
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