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________________ ५२८ तीर्थकर महावीर चेटक थे।' उनके आधीन ९ लिच्छवि ९ मल्लकी काशी, कोशल के १८ गणराजा थे। त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में उनका नाम चेटक पड़ने का कारण बताते हुए लिखा है : चेटीकृतारि भूपालस्तत्र चेटक इत्यभूत । अर्थात् शत्रु राजा को चेटी ( सेवक ) बनाने वाले चेटक राजा थे। उनके माता-पिता का क्या नाम था, इसका उल्लेख नहीं मिलता केवल हरिषेणाचार्य कृत वृहत्कथाकोष में 'श्रेणिक कथानकम्' में आता है कि उनके पिता का नाम केक और माता का नाम यशोमति था । __दलसुख मालवणिया ने चेटक के सम्बन्ध में लिखा है कि, ऐसा नहीं १-(अ) वेसालीए नयरीए चेडगस्स रन्नो-निरयावलिका (समिति वाला) पत्र १६२। (आ) एतो य वेसालीए नगरीए चेडो राया। --आवश्यकचूणि, भाग २, पत्र १६४ । (३) त्रिषष्टिशालाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक १८४-१८५ पश्न ७७-१ (ई) वेसालीए पुरीए, सिरिपासजिणेस सासण सणाहो । हेहमकुल संभूत्रो चेडगनामा निवो असि ॥ २ ॥ -उपदेशमाला सटीक, पत्र ३३८ । २-(अ) नवमल्लई नवलेच्छई कासी कोसलका अद्यारस विगणरायाणो। -निरयावलिका ( आगमोदयसपिति ) पत्र १७-२ -कल्याण सूत्र, सुबोधिका टीका, पत्र ३५० । ३–त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक १८५, पत्र ७७२। ४-अथ वज्रविवे देमे विशाली नगरी नृपः ।। अस्यां केकोऽस्य भार्याऽऽसीत् यशोमतिरिनप्रभा ॥ १६५ ॥ - वृहत्कथाकोश, पृष्ठ ८३, [श्लोक १६५ ] ५-उत्थान महावीर जयंती अंक [ जैन-प्रकाश ] मार्च १५,१६३४ [ पावापत्यीय अने महावीर तो संघ ] पृष्ठ ६६ की पादटिप्पणि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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