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भक्त राजे
५२७ मार्ग में साल-महाल मुनि विचार करने लगे-"बहन, बहनोई और भांजा सब संसार-सागर से तरे यह तो यह बहुत सुन्दर हुआ।" उसी समय गागलि के मन में विचार हुआ—"मेरे साल महासाल मामाओं ने मेरा बड़ा उपकार किया । अपनी राज्यलक्ष्मी को भोगने का अवसर मुझे दिया
और फिर मोक्ष-लक्ष्मी भोगने का मुझे अवसर दिलाया ।" ऐसा विचार करते-करते वे पाँचो क्षपकश्रेणी पर आरूढ़ हुए और शुभ ध्यान से उनको केवलज्ञान हो गया। ___ अनुक्रम से गौतम स्वामी के साथ वे जिनेश्वर के पास आये वहाँ उन पाँचों केवलियों ने जिनेन्द्र की प्रदक्षिणा की और वे फिर केवली-परिषद की ओर चले । उस समय गौतम स्वामी ने उनसे कहा-"मुनियो ! क्या तुम लोग जानते नहीं ? कहाँ जा रहे हो ? इधर आओ और जगत्प्रभु की वंदना करो।
इसे सुनकर भगवान् ने गौतम से कहा- "हे गौतम ! केवली की आशातना मत करो ?""
चंड प्रद्योत देखिए प्रद्योत
चेटक
भगवान् महावीर के समय में वृजियों का बड़ा शक्तिशाली गणतंत्र था। उसकी राजधानी वैशाली थी। और, उस गणतंत्र के सर्वोच्च राजा
१-त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र पर्व १०, सर्ग ६ श्लोक १६६-१७६ पत्र १२४-२ ।
२-जैन-ग्रन्थों में वैशाली के गणराजाओं का उल्लेख मिलता है। इससे स्पष्ट है कि वह गणतंत्र था । अन्य किसी प्रसंग में गणराजा नहीं मिलता।
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