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तीर्थंकर महावीर
भूल
है । विशाखा और विशाला दो भिन्न स्थान थे । इस विशाखा का उल्लेख फाह्यान' और हैनसांग ने भी किया है और कनिंघम ने इसकी पहचान वर्तमान अयोध्या से की है।
जैन-साहित्य में एक अन्य बहुपुत्तीया देवी का उल्लेख मिलता है । यह सौधर्म देवलोक की देवी थी ।
गागलि
साल के बाद पृष्ठचम्पा में साल का भांजा गागलि नामक राजा राज्य करता था । उसकी माता का नाम यशोमति और पिता का नाम पिठर था । एक बार भगवान् महावीर जब राजगृह से चले तो उस समय साल - महासाल नामक मुनियों ने करके पूछा - "हे स्वामी ! यदि आपकी आज्ञा हो तो जाकर हम अपने स्वजनों को प्रतिबोध करायें ।” भगवान् ने गौतम गणधर के साथ उन्हें जाने की आज्ञा दे दी ।
अनुक्रम से विहार करते वे लोग पृष्ठचम्पा गये । वहाँ गौतमस्वामी ने उपदेश दिया ।
गागलि गौतम स्वामी और अपने मामाओं के आने की बात सुनकर वंदना करने आया | धर्मदेशना सुनकर गागलि राजा को और उसके माता-पिता को वैराग्य हुआ । और, गागलि ने अपने पुत्र को राज्यभार सौंपकर अपने माता-पिता के साथ गौतम स्वामी के पास दीक्षा ले ली । उसके बाद गौतम स्वामी, साल, महासाल, गागलि पिटर और यशोमति के साथ चम्पा की ओर चले जहाँ भगवान् थे ।
१ - २ कनिघम्स ऐंशेंट ज्यागरैफी, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ ४५९
२ - कनिंघम्स पेशेंट ज्यागरैफी व इंडिया, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ ४६० ४ – निरयावलिया पी० एल० वैद्य-सम्पादित पृष्ठ ३५
५ - सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तीया विमाणे
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चम्पापुरी की ओर भगवान् की वंदना
हम लोग पृष्ठचंपा
- निरयावलिया सटीक पत्र ३३-१
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