SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 588
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२० तीर्थंकर महावीर महाशिलाकंटक और रथमुशल की परिभाषा भवगतीसूत्र में इस प्रकार दी गयी है। ___ गोयमा! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा हत्थी वा जोहे वा सरही वा तणेण वा पत्तेण वा कट्टेण वा सकराया वा अभिहम्मति सव्वे से जाणए महासिलाए अहं म० २, से तेण?णं गोयमा महासिलाकंटए ।' हे गौतम ! इस संग्राम में घोड़ा, हाथो, योद्धा और सारथियों को तृण, काष्ठ, पचे से मारा जाये तो उसे लगे कि उस पर महाशिला गिरायी गयी है। और, रथमुशल की परिभाषा निम्नलिखित रूप में दी गयी है: गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए असारहिए अणारोहए समुसले महया २ जणक्खयं जणवहं जणप्पमहं जणसंवट्टकप्पं रुहिरकहमं करेमाणे सव्वो समंता परिधावित्था से तेणटेणं जाव रहमुसले संगामे। --अश्वरहित, सारथिरहित, योद्धारहित मुसल सहित एक रथ विकराल जनसंहार करे, जनवध करे, जनप्रमर्दन करे और जलप्रलय करे और उनको रुधिर के कीचड़ में करता हुआ चारो ओर दौड़े, ऐसे युद्ध को रथमुसल संग्राम कहते हैं । ___इन दोनों युद्धों का विस्तृत विवरण भगवतीसूत्र शतक ७ उद्देशा ९ में आता है। इस युद्ध के बीच में ही एक दिन आकाशवाणी हुई कि, जब तक मागधिका वेश्या कुलवालक को न लायेगी, विजय असम्भव है। मागधिका १-भगवती सूत्र सटीक, सूत्र २६६ पत्र ५७ः । २-भगवतीसूत्र सटीक, सूत्र ३००, पत्र ५८४ ३--भगवनीसूत्र सटीक पत्र ५७५-१ से ५६१ तक ___४-कूलवालक की कथा उत्तराध्ययन नेमिचन्द्र की टीका, अध्ययन १, पत्र २-१ में विस्तार से आयी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy