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तीर्थकर महावीर कर दिया। इस पर कुणिक ने युद्ध के लिए तैयार होने का संदेश भेजा। महाराज चेटक भी तैयार हो गये।
अतः कूणिक अपने कालकुमार आदि दस भाइयों' को लेकर सेना सहित वैशाली की ओर चल पड़ा । चेटक ने भी अपने साथी राजाओं को बुलाया । __ पहले दिन कालकुमार तीन हजार हाथी, तीन हजार रथ, ३ हजार अश्व और तीन करोड़ मनुष्य को लेकर गरुड़-व्यूह की रचना कर युद्ध में उतरा। चेटक प्रतिपन्न-व्रत के कारण दिन में एक ही वाणः चलाते थे और वह वाण अचूक होता था। __ प्रथम दिन के युद्ध में कालकुमार काम आया । इसी प्रकार अगले ९ दिन में १ सुकाल, २ महाकाल, ३ कृष्णकुमार, ४ सुकृष्ण, ५ महा कृष्ण, ६ वीरकृष्ण, ७ रामकृष्ण, ८ पितृसेनकृष्ण ९ पितृमहासेणकृष्ण राजकुमार काम आये।।
१-दस भाइयों के नाम के लिए देखिए श्रेणिक का प्रकरण । उसमें काल कुमारादि १० पुत्रों के नाम दिये हैं।
२-भगवतीसूत्र शतक ७, उद्देसाह [ सटीक, पत्र ५७६ ] में उस युद्ध के दोनों पक्षों के नाम इस प्रकार दिए हैं:
विदेहपुत्ते जइत्था, नव मल्लई, नवलेच्छई काशी कोसलगा अहारसवि गणरायाणो पराजइत्थो ........" ३-निरयावलिकासूत्र सटीक, पत्र ६-१
४-चेटक राजस्य तु प्रतिपन्न व्रतत्वेन दिन मध्ये एकमेव शरं मुञ्चति अमोघ वाणश्च
-निरयावलिक र त्र सटीक, पत्र ६-१ ५-निरयावलिका सटीक, पत्र ६-१
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