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________________ * तीर्थकर महावोर बौद्ध-ग्रन्थों में इसी राजा का उल्लेख अजातशत्रु नाम से है ।' बहुत दिनों तक लोग अजातशत्रु ही उसका मूल नाम मानते रहे । परन्तु अब पुरातत्व द्वारा सिद्ध हो चुका है कि, उसका मूल नाम कूणिक हो था और यहाँ यह कह देना भी अप्रसांगिक न होगा कि यह कूणिक नाम केवल जैन ग्रन्थों में ही मिलता है ! अन्यत्र उसका कोई उल्लेख नहीं मिलता । परिवार जैन-ग्रन्थों में इसकी तीन रानियों के उल्लेख मिलते हैं : 3 पद्मावती, धारिणी और सुभद्रा । आवश्यकचूर्णि में उल्लेख है १- डिक्शनरी आव पाली प्रापर नेम्स, भाग १, पष्ठ ३१ २ - मथुरा · संग्रहालय में कूणिक की एक मूर्ति है। उस पर शिलालेख भी हैं । उसमें लिखा है: निदभत्र सेनि ज ( 1 ) सत्रु राजो ( सि ) रि कूणिक शेवासिनागो मागधानाम् राजा " श्रेणि के वंशज श्रजातशत्रु कूणिक शेवासिक नाग मागधों के राधा की मृत्यु हुई" “३४ [ वर्ष [ महीना ] [ राज्यकाल ? ] विशेष विवरण के लिए देखिए 'जनरल आव बिहार ऐंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी' वाल्यूम ५, भाग ४, पृष्ठ ५५०-५५१ [ दिसम्बर १९१६ ] ३ - तस्स गं कूणियस्स रन्नो पउमावई नामं देवी होत्था" -- निरयावलिया ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) सूत्र ८, पृष्ठ ४ त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र, पूर्व १०, सर्ग ६, श्लोक ३१४ पत्र ८२ - १ में भी उसका उल्लेख है । ४ - श्रीववाइयसुत्त सटीक ( सूत्र ७, पत्र २३ ) में आता है तस्स णं कोरियस रणो धारिणी नामं देवी होत्था ५ - श्रववाइयसुत सटीक, सूत्र ३३, पत्र १४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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