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भक्त राजे
कनकध्वज
श्रमण श्रमणियों के प्रकरण में तेतलीपुत्र का प्रसंग देखिए (पृष्ठ २४० ) ।
कर कंडू
प्रत्येक बुद्धवाले प्रकरण में देखिए (पृष्ठ ५५७-५६३) ।
कूणिक
५१३.
कूणिक के पिता का नाम श्रेणिक और माता का नाम चेल्लणा था । यह चेल्लणा वैशाली के महाराज चेटक की पुत्री थी।' इसके वंश आदि के सम्बन्ध में हमने श्रेणिक भंभासार के प्रकरण में विशेष विवरण दे दिया है, अतः हम उसकी यहाँ पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते ।
इसका नाम कूणिक पड़ने का कारण यह था कि, जब इसका जन्म हुआ तो इसे अपशकुन वाला पुत्र मान कर इसकी माता चेल्लणा ने इसे नगर के बाहर फिंकवा दिया । यहाँ कुक्कुट के पंख से इसकी कानी उंगली में जख्म हो गया । इस जख्म के ही कारण ही इसका नाम कूणिक पड़ा | जैन ग्रन्थों में इसका दूसरा नाम अशोकचन्द्र मिलता है ।" यह कूणिक शब्द 'कूणि' से बना है । कूणि का अर्थ ( टिलो ) उंगली का जख्म होता है ।
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१ - निरयावलिया ( पी० एल० वैद्य सम्पादित, पृष्ठ २२ ) में महाराज चेटक के मुख से कहलाया गया है:
राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते, चेल्लाए देवीए अत्तए, मम नत्तुए... २-- आवश्यकचूर्णि, उत्तरार्द्ध पत्र १६७ ( मूल पाठ के लिए देखिए श्रेणिक भंभासार का प्रसंग ) । त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्र पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक ३०६ ( पत्र ८ १-२ ) में स्पष्ट आता है:
रूह व्रणापि सा तस्य कूणिताभवदंगुलिः । ततः सपांशुरमणैः सोऽभ्यधीयत कूणिकः || ३ - श्राप्टेन संस्कृत- इङ्गलिश डिक्शनरी, भाग १, पृष्ठ ५८०
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