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तीर्थंकर महावीर
का नाम उद्रायण ही दिया है ( खंड २, पृष्ठ ८४) । बौद्ध ग्रंथों में इसका नाम रुद्रायण मिलता है ।
यह उद्रायण वीतभय इत्यादि ३६३ नगरों और खानों तथा सिंधुसौवीर आदि १६ देशों का पालन करने वाला था । महासेन ( चंडप्रद्योत ) आदि १० महापराक्रमी मुकुटधारी राजा उसकी सेवा में रहते थे । '
उनकी पत्नी का नाम प्रभावती था । वह वैशाली के राजा महाराज चेटक की पुत्री थी।"
उद्रायण को प्रभावती से एक पुत्र था । उसका नाम अभीचि था । तथा राजा की बहन का एक लड़का था, उसका नाम केशी था ।
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राजा उद्रायण की पत्नी श्राविका थी। पर उद्रायण स्वयं तापसों का भक्त था ।
१ - पे णं उदायणे राया सिंधुसोवीरप्पमोक्खाणं सोलसरहं जणवयाणं वीतीभयप्पामोक्खाणं तिरहं तेसट्ठीगं नगरागर सयाणं महसेणाप्पमोक्खा दसरहं राइणं बद्धमउडाणं - भगवतीसूत्र सटीक, शतक १३, उद्देसा ६, पत्र ११३५ ।
ऐसा ही उल्लेख उत्तराध्ययन नेमिचन्द्राचार्य की टीका सहित ( पत्र २५२ - १ ), आदि अन्य ग्रंथों में भी मिलता है ।
२ - उत्तराध्ययन भावविजय गरिए की टीका, अ० १८, श्लोक ५, पत्र ३८०-१ - श्रावश्यकचूरिंग, उत्तरार्द्ध पत्र १६४
३ – उत्तराध्ययन भावविजय की टीका, अ० १८, श्लोक ६ पत्र ३८० १ ।
४ – ( अ ) तस्य प्रभावती राज्ञी, जज्ञे चेटकराट् सुता । बिभ्रती मानसे जैनं
॥ ५ ॥
-- उत्तराध्ययन, भावविजय को टीका, अ०१८, श्लोक ५, पत्र ३५० । (a) उदास रनो महादेवी चेडगराय धूया समोवासिया पभाबई - उत्तराध्ययन नेमिचन्द्राचार्य की टीका सहित, पत्र २५३ - १ । (इ) प्रभावती देवी समणोवासिया ।
-श्रावश्यकचूर्ण, पूर्वाद्ध पत्र ३६६ ।
५- उद्दायण राया तावस भत्तो - आवश्यकचूर्ण, पूर्वाद्ध, पत्र ३६६ ।
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