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________________ भक्त राजे ५०७ महाचन्द्र ने पहले श्रावक-धर्म स्वीकार किया और बाद में भगवान् के सम्मुख प्रवजित हुआ । अर्जुन' सुधोस-नामक नगर था। देवरयण उद्यान था। उसमें वीरसेननामक यक्ष का यक्षायतन था। उस नगर में अर्जुन नामक राजा था। तत्त्ववती उसकी रानी थी। भद्रनन्दी उनका कुमार था। उस नगर में भगवान् महावीर के आने आदि तथा सभा आदि का विवरण अदीनशत्रु के समान ही है । भद्रनन्दी कुमार ने सुबाहु के समान पहले श्रावक-धर्म स्वीकार किया और फिर बाद में साधु हो गया । अलक्ख भगवान् महावीर के काल में वाराणसी-नगरी मैं अलक्ख नाम का राजा राज्य करता था। वाराणसी नगर के निकट काम महावन नाम का चैत्य था। एक बार भगवान् महावीर विहार करते हुए वाराणसी आये । भगवान् महावीर के आने का समाचार अलक्ख को मिला । समाचार सुनकर १-विपाक सूत्र ( पी० एल० वैध-सम्पादित ) श्रु० २, अ० ८ पृष्ठ ८२ । २-'अलक्ख' का संस्कृत रूप 'अलक्ष्य' होगा। देखिए अल्पपरिचितसैद्धांतिक शब्द कोष, पृ ८१ । ३-वाणारसीए नयरीए काममहावणे चेइए । -अंतगडदसाओ, एन० वी० वैद्य-सम्पादित, पृष्ठ ३७ । इस काम महावन का उल्लेख भगवती सूत्र शतक १५ उ०१ में भी आता है वाराणसीए बहिए काम महावणंसि चेइयंसि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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