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भक्त राजे अदीनशत्रु'
भगवान् महावीर के समय में हस्तिशीर्ष' - नामक नगर में अदीनशत्रुनामक राजा राज्य करता था । उसे १००० रानियाँ थीं, जिनमें धारिणी देवी मुख्य थी । धारिणी देवी ने एक दिन स्वप्न में सिंह देखा । समय आने पर उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई । उसका नाम सुबाहु रखा । ( सुबाहु के जन्म की कथा मेघकुमार के सदृश जान लेनी चाहिए )
यह सुबाहुकुमार जब युवा हुआ तो उसका विवाह हुआ । सुबाहुकुमार के ५०० पत्नियाँ थीं; जिनमें पुष्पचूला प्रमुख थी ( सुबाहु - कुमार के विवाह का प्रसंग महाबल के विवाह के अनुसार जान लेना चाहिए )
एक बार भगवान् महावीर विहार करते हुए हस्तिशीर्ष- नामक नगर में आये। उस नगर के उत्तर-पूर्व दिशा में पुष्पकरंडक नाम का एक रमणीय उद्यान था । उस उद्यान में कृतवनमालप्रिय - नाम के एक यक्ष का बड़ा सुन्दर यक्षायतन था ।
भगवान् के आने का समाचार सुनकर राजा अदीनशत्रु कूणिक की भाँति वंदन करने और धर्मोपदेश सुनने गया । उनका पुत्र सुबाहुकुमार भी जमालि के समान रथ से गया । परिषद और धर्मकथा सुनकर सब चले गये । सुबाहुकुमार ने पाँच अणुव्रत और सात शिक्षाव्रत ग्रहण कर लिये ।
१ – विपाकसूत्र ( पी० एल० वैद्य-सम्पादित ) श्रु० २, अ० १, पृष्ठ ७५-७६ । २ - इस नगर में भगवान् अपने छद्मस्थ काल में भी जा चुके थे। हमने इसका उल्लेख अपने इसी ग्रन्थ के भाग १, पृष्ठ २२४ पर किया है।
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