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अह पंचहिं ठाणेहिं, जेहि सिक्खा न लब्भई । थम्भा कोहा पमाएणं, रोगेणाऽऽलस्सएण य ॥३॥
[उत्तरा० अ० ११ गा० ३] इन पाँच कारणों से मनुष्य सच्ची शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता:
अभिमान से, क्रोध से, प्रमाद से, कुष्ठ आदि रोग से, और आलस्य से।
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