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श्रावक-श्राविका
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शिवानन्दा - आनंद श्रावक की पत्नी । देखिए तीर्थङ्कर महावीर,
भाग २, ४२७ ।
श्यामा - चुहनीपिता की पत्नी । देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४५९ ।
सद्दालपुत्र – भगवान् के
तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४७० - ४८२ ।
सालिहीपिया-- भगवान् के १० मुख्य श्रावकों में दसवाँ । देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४८९ ।
सुदंसण - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४८ । सुनन्द - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ १०९ । सुरादेव - भगवान् के मुख्य श्रावकों में चौथा । देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४६२ ।
१० मुख्य श्रावकों में सातवाँ । देखिए
सुलसा' - राजगृह नगरी में श्रेणिक राजा के शासन काल में नागनामक सारथी रहता था । यह नाग सारथी महाराज प्रसेनजित का सम्बंधी था । उसकी पत्नी का नाम सुलसा था । सुलसा शीलादिक गुणों से युक्त थी । पर उसे कोई पुत्र नहीं था । एक दिन पुत्र न होने के कारण नाग को दुःखी देखकर, सुलसा ने कहा - " धर्म की आराधना से हमारा मनोरथ अवश्य पूर्ण होगा । इसके लिए आप चिन्ता न करें ।" और, वह त्रिकाल पूजा, ब्रह्मचर्य पालन तथा आचाम्ल करने लगी ।
उसके इस व्रत को देखकर इन्द्र ने एक बार सुलसा की बड़ी प्रशंसा की । इन्द्र द्वारा ऐसी प्रशंसा सुनकर हरिणेगमेषी दो साधुओं का रूप बनाकर सुलसा के घर गया और लक्षपाक तैल माँगा । सुलसा सहर्ष
१ - सुलसा की कथा आवश्यक चूं उत्तरार्द्ध पत्र १६४ |
भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति पत्र २४८-२ - २५५-१ ।
उपदेशप्रासाद, स्तम्भ ३, व्याख्यान ३६ आदि ग्रंथों में आती है ।
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