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________________ ४६४ तीर्थंकर महावीर कामदेव-भगवान् के १० मुख्य में दूसरा । देखिए तीर्थङ्कर महावीर भाग २, पृष्ठ ४५६-४५८ । कुडकोलिक-भगवान् के १० मुख्य श्रावकों में छठाँ। देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४६६-४६९ । चुलणीपिया-भगवान् के १० मुख्य श्रावकों में तीसरा । देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४५९-४६१ । चुल्लशतक-भगवान् के १० मुख्य श्रावकों में पाँचवाँ। देखिए, तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ४६४-४६६ । धन्या-मुरादेव की पत्नी । देखिए तीर्थङ्कर महावीर भाग २, पृष्ठ ४६२। नंद मणिकार-राजगृह नगर में गुणशिलक चैत्य था। वहाँ श्रेणिक-नामक राजा राज्य करता था। एक बार श्रमण भगवान् महावीर अपने परिवार के साथ गुणशिलक-चैत्य में पधारे । वहाँ एक बार सौधर्मकल्प का दुर्दुरावतंसक-नामक विमान का निवासी दुर्दुर-नामक एक तेजस्वी देव उनकी भक्ति करने आया । उस देव का तेज देखकर भगवान् के ज्येष्ठ शिष्य ने उस देव के अद्भुत तेज का कारण पूछा ? भगवान् ने कहा-“हे गौतम ! इस नगर में पहले एक बड़ी ऋद्धि वाला नंद नामक एक मणिकार ( जौहरी) रहता था। उस समय मैं इस नगर में आया । मेरा धर्मोपदेश सुनकर उसने श्रमणोपासक-धर्म स्वीकार कर लिया। असंयमी सहवास के कारण धीरे-धीरे वह अपने संयम में शिथिल होने लगा। एक बार निर्जल अहम स्वीकार करके वह पौषधशाला में था । दूसरे दिन उसे बड़ी प्यास लगी। असंयत तथा आसक्त होने के कारण वह अत्यन्त व्याकुल हो गया। उस समय उसे विचार हुआ कि लोगों को पीने अथवा नहाने के लिए जो बावड़ी, पुष्करिणी अथवा तालाब बनवाता है वह धन्य है । दूसरे दिन बड़ी भेंट लेकर वह राजा के पास गया और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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