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मुख्य धावकों का संक्षिप्त परिचय
वत्थ चिलेवण पुष्फे आभरणं धूव पेज्जाइ ॥ ८ ॥ भक्खोयण-स्य घर सांगे माहुर-जेमण - पारो य । तम्बोले इगवीसं आणन्दाईण अभिग्गहा ॥ ६ ॥ उड्डुं सोहम्मपुरे लोलूए अहे उत्तरे हिमवन्ते । पञ्च सए तह तिदिसिं हिण्णाणं दसगणस्स ॥ १० ॥ दंसण वय- समाइय-पोसह-पडिमा अबम्भ-सच्चित्त । आरम्भ-पेस- उद्दिट्ठ- वज्जये समणभूप य ॥ ११ ॥ इक्कारस पडिमाओ वोसं परियाओ अणसणं मासे । सोहम्मे चउ पलिया महाविदेहम्मि सिज्झिहि ||१२||
१ वाणिज्य ग्राम में, ( २-३ ) दो चम्पा - नगरी में, ( ४ ) वारणसी में, (५) आलभिका में, ( ६ ) काम्पिल्यपुर में, ( ७ ) पोलासपुर में, (८) राजगृह में, ( ९-१० ) श्रावस्ती में श्रावक हुए । इन्हें श्रावकों का नगर जानना चाहिए ।। १-२ ।।
अनुक्रम से शिवानन्दा, भद्रा, श्यामा, धन्या, बहुला, पुष्या, अग्निमित्रा, रेवती, अश्विनी और फाल्गुनी ये दसों श्रावकों की भार्या के नाम हैं ॥ ३ ॥
१ – अवधिज्ञान, २ पिशाच, ३ माता, ४ व्याधि, ५ धन, ६ उत्तरीयवस्त्र, ७ सुव्रता भार्या, ८ दुर्व्रता भार्या ये अनुक्रम से ८ श्रावकों के निमित्त थे। अंतिम दो उपसर्ग रहित हुए ॥ ४ ॥
ये दसों श्रावक अनुक्रम से अरुण, अरुणाभ, अरुणप्रभ, अरुणकान्त, अरुणशिष्ट, अरुणध्वज, अरुणभूत, अरुणावतंसक, अरुणगव और अरुणकील विमान में उत्पन्न हुए ॥ ५ ॥
चालीस, साठ, अस्सी, साठ, साठ, साठ, दस, अस्सी, चालीस और चालीस हजार गायों का व्रज उनका जानना चाहिए ॥ ६ ॥
१ - बारह हिरण्य कोटि, २-अठारह हिरण्य कोटि, ३ चौबीस
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