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मुख्य श्रावकों का संक्षिप्त परिचय
ये दसों ही श्रावक १५ वर्ष श्रावक धर्म पाल कर धर्मप्रज्ञप्ति स्वीकार करते हैं और २० वर्षं श्रावक-धर्म पाल कर स्वर्ग जाते हैं । वे सभी महाविदेह में सिद्ध होंगे ।
उपासक दशा के अंत में दसों श्रावकों का वर्णन अति संक्षेप-रूप में दिया है । पाठकों की सुविधा के लिए, हम यहाँ मूल गाथाएं और उनका अनुवाद दे रहे हैं: -
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वाणियगामे चम्पा दुवे य वाणारसीइ नयरीए । आलभिया य पुरवरी कम्पिल्लपुरं च बोद्धव्वं ॥ १ ॥ पोलासं रायगिहं सावत्थीए पुरीए दोन्नि भवे । एए उवासगाणं नयरा खलु होन्ति बोद्धव्वा ॥ २ ॥ सिवनन्द-भद्द - सामा-धन्न- बहुल- पूस - श्रग्गिमित्ताय । रेवइ- अस्सिणी तह फग्गुणी य भज्जाण नामाइ ||३|| श्रहिण्णाण - पिसाए माया वाहि धण- उत्तरिज्जे य । भज्जा य सुव्वया दुश्वया निरुवसग्गया दोन्नि ||४|| अरुणे अरुणाभे खलु अरुण पह- अरुणकन्त-सिट्ठे य । अरुणज्भर य छट्ठे भूय-वर्डिसे गवे कीले ॥ ५ ॥ चाली सट्टि असीई सट्टी सट्ठी य सट्ठि दस सहस्स । असिई चत्ता चत्ता चए एयाण य सहस्साणं ॥ ६ ॥ बारस अट्ठारस चडवीसं तिविहं अट्ठरस इ नेयं । धन्नेण ति चोवीसं बारस बारस य कोडीओ ||७|| उल्लण- दन्तवण- फले अभिङ्गव्वट्टणे सणाणे य ।
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