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१० सालिहीपिता
श्रावस्ती नामक नगरी थी। कोष्ठक-चैत्य था । जितशत्रु-नामका राजा राज्य करता था। उस नगरी में सालिहीपिता नामक गृहपति रहता था। चार करोड़ हिरण्य उसके निधान में थे, चार करोड़ वृद्धि पर और चार करोड़ प्रविस्तर पर लगे थे। दस हजार गौएं प्रति व्रज के हिसाब से उसके पास चार व्रज थे । उसकी पत्नी का नाम फाल्गुनी था । __भगवान् श्रावस्ती पधारे। समवसरण हुआ और आनंद के समान सालिहीपिता ने गृहस्थ-धर्म स्वीकार किया।
और, कामदेव के समान गृहभार अपने पुत्र को सौंप कर श्रमण भगवान् महावीर की धर्मप्रज्ञप्ति स्वीकार करके रहने लगा ? श्रावकों की ११ प्रतिमाएं उसने उपसर्ग रहित पूर्ण की। मृत्यु के समय मृत्यु को प्राप्त होकर वह अरुणकिल-नामक विमान में देवरूप से उत्पन्न हुआ ? वहाँ चार पल्मोपय बिता कर वह महाविदेह में मोक्ष को प्राप्त करेगा ।
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