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६ नंदिनीपिता
श्रावस्ती-नामक नगरी थी। कोष्टक चैत्य था। जितशत्रुनामक राजा था। उस श्रावस्ती नगरी में नन्दिनीपिता-नाम का गृहपति रहता था । वह बड़ा धनवान् था। चार करोड़ हिरण्य उसके निधान में, चार करोड़ वृद्धि पर और चार करोड़ प्रविस्तर पर लगे थे। दस हजार गाय प्रति वज के हिसाब से उसे चार व्रज थे । अश्विनी-नाम की उसकी पत्नी थी। ___ भगवान् महावीर नगर में पधारे । समवसरण हुआ। आनंद के समान उसने गृहस्थ-धर्म स्वीकार किया।
नन्दिनीपिता श्रमणोपासक ने बहुत समय तक बहुत से शील-व्रत आदि का पालन किया । श्रावक धर्म पालते हुए चौदह वर्ष व्यतीत होने के बाद पन्द्रहवें वर्ष में अपने पुत्र को गृहभार सौंप कर भगवान् महावीर के समक्ष स्वीकार की हुई धर्मप्रज्ञप्ति को स्वीकार करके विचरण करने लगा । इस प्रकार बीस वर्षों तक श्रावक-धर्म पाल कर वह अरुणगव विमान में उत्पन्न हुआ और उसके बाद महाविदेह मैं मोक्ष को प्राप्त करेगा।
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