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महाशतक
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'हे देवानुप्रिय! अपश्चिम मरणान्तिक संलेखना के लिए क्षीण हुए शरीर वाले यावत् भक्त-पान का प्रत्याख्यान जिसने किया हो, ऐसे श्रमणोपासक को सत्य यावत् अनिष्ट कथन के लिए दूसरे को उत्तर देना योग्य नहीं है । उसने रेवती को ऐसा कहा, इसलिए उसे आलोचना करनी चाहिए और यथायोग्य प्रायश्चित करना चाहिए।' ____ महावीर स्वामी के आदेश से गौतम स्वामी महाशतक के निकट गये
और उसे भगवान् का विचार बताया । महाशतक ने बात स्वीकार कर ली। महाशतक श्रावकोपासक ने बीस वर्षों तक श्रावक-धर्म पाला, बहुत से शील, व्रत आदि से आत्मा को भावित किया और अंत में साठ भक्त का प्रत्याख्यान करके सौधर्म देवलोक में अरुणावतंसक-नामक विमान में देव रूप में उत्पन्न हुआ ।चार पल्पोपम वहाँ रह कर वह महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध हो गया।
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