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________________ ४८२ तीर्थकर महावीर यावत् सबसे छोटे लड़के को मार डाला और सद्दालपुत्र का शरीर लोहू से सींचा पर सद्दालपुत्र निर्भय धर्म में स्थित रहा। __ अंत में उस देवता ने कहा- "यदि तू धर्म से विचलित नहीं होता तो मैं तेरी पत्नी अग्निमित्रा को लाकर तेरे सामने उसका घात करूँगा।" फिर भी सद्दालपुत्र निर्भय बना रहा । देवता ने जब दूसरी और तीसरी बार भी ऐसा कहा तो सद्दालपुत्र को उस देवता के अनायंपने पर क्षोभ . हुआ और उसे पकड़ने उठा। शेष सब चुलनीपिता के समान है। कोलाहल सुनकर अग्निमित्रा आयी और सब शेष पूर्ववत् समझ लेना चाहिए। मृत्यु के बाद सद्दालपुत्र अरुणभूत-नामक विमान में उत्पन्न हुआ यावत् महाविदेह में वह सिद्ध होगा। ** ** Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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