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चुल्लशतक
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होने से मर जायेगा । फिर भी चुल्लशतक निर्भय विचरण करता रहा । जब उसने दूसरी और तीसरी बार ऐसी धमकी दी तो चुल्लशतक को विचार हुआ कि यह अनार्य पुरुष है । इसने हमारे पुत्र का वध किया अब हमारी सम्पत्ति नष्ट करना चाहता है ।' ऐसा विचार करके चुल्लशतक उसे पकड़ने चला ।
पर, वह देव आकाश में उछल गया । चुल्लशतक जोर-जोर चिल्लाने लगा । उसकी पत्नी आयी । और, उसने चिल्लाने का कारण पूछा तो चुल्लशतक पूरी कहानी कह गया । शेष पूर्ववत् समझना चाहिए ।
अंत में काल के समय में काल करके वह सौधर्म देवलोक में अरुण शिष्ट नामक विमान में उत्पन्न हुआ । वहाँ चार पल्योपम की स्थिति के बाद वह महाविदेह में सिद्ध प्राप्त करेगा ।
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