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'चैत्य' शब्द पर विचार
४५३ घासीलाल जी का कहना है कि, चैत्य शब्द का किसी कोष में मूर्ति अर्थ नहीं है । इसके समर्थन में उन्होंने पद्मचन्द्रकोष का उद्धरण दिया । पर, पहली बात तो यह कि, उस कोष में 'साधु' कहाँ लिखा है ?
दूसरी बात यह भी ध्यान में रखने की है कि, उसी कोष में और उसी उद्धरण में चैत्य का एक अर्थ 'बिम्ब' भी है। घासीलाल ने
और कुछ उद्धरणों से उसका अर्थ करते हुए लिखा है 'बिम्ब' का अर्थ मूर्ति नहीं है। अब हम यहाँ कुछ कोषों से बिम्ब का अर्थ दे देना चाहते हैं(१) बिम्त्रः-अ स्टैचू, फिगर, आयडल यथा
हेमविम्बनिभा सौम्या मायेव मयनिर्मिता-रामायण ६.१२.१४
-~-आप्टेज संस्कृत इंगलिश डिक्शनरी, भाग २, पृष्ठ ११६७ (२) बिम्ब---ऐन इमेज,शैडो, रिफेक्टे आर प्रेजेंटेड फार्म, पिक्चर
-रामायण, भागवतपुराण, राजतरंगणी बिम्ब को मूर्ति के अर्थ में हेमचन्द्राचार्या ने भी प्रयोग किया है चैत्यं जिनौकस्तबिम्बं......अनेकार्थकोष, का० २, श्लोक ३६२
चैत्यपूजा का एक बड़ा स्पष्ट उदाहरण आवश्यकचूर्णि पूर्वार्द्ध पत्र ४९५ में आता है कि, श्रेणिक राजा सोने के १०८ यव से चैत्यपूजा करता था
...सेणियस्स असतं सोवणियाण जवाण करेति चेतिय अच्चणितानिमित्त
कुछ आधुनिक विद्वान् चैत्य शब्द के सम्बन्ध में अब हम कुछ आधुनिक विद्वानों का मत दे देना चाहते हैं। किसी भी प्रकार का भ्रम न हो, इस दृष्टि से हम मूल उद्धरण ही यहाँ देना चाहेंगे ।
(१) चेतिय ( सं० चैत्य ) इन इट्स मोस्ट कामन सेंस हैज कम
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