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________________ ४४४ तीर्थकर महावीर में और पालि में भी इसके प्रयोग मिलते हैं। अतः उसके अर्थ में किसी प्रकार का हेर-फेर करना सम्भव नहीं है। ___चैत्य-शब्द का प्रयोग किस रूप में प्राचीन साहित्य में हुआ है, अब हम यहाँ उसके कुछ उदाहरण देंगे। धार्मिक साहित्य (संस्कृत) बाल्मीकीय रामायण (१) चैत्यं निकुंभिलामद्य प्राप्य होमं करिष्यति ___युद्धकाण्ड, सर्ग ८४, श्लोक १३, पृष्ठ २३८ इन्द्रजीत निकुंभिला देवी के मंदिर में यज्ञ करने बैठा है। (शास्त्री नरहरि मग्नलाल शर्मा-कृत गुजराती-अनुवाद) भाग २, पृष्ठ १०९८ । (२) निकुम्भिलामभिययौ चैत्यं रावणिपालितम् -युद्ध काण्ड, सर्ग ८५, श्लोक २९, पृष्ठ २४० लक्ष्मण रावणपुत्र की रक्षा करने वाले निकुम्भिला के मन्दिर की ओर जा निकले। -गुजराती-अनुवाद, पृष्ठ १०९९ इसी रूप में 'चैत्य' शब्द वाल्मीकीय रामायण में कितने ही स्थलों पर आया है। विस्तारभय से हम यहाँ सभी पाठ नहीं दे रहे हैं। महाभारत शुचिदेशयनड्वानं देवगोष्ठं चतुष्पथम् । ब्राह्मणं धार्मिक चैत्यं, नित्यं कुर्यात् प्रदक्षिणाम् ॥ -शांतिपर्व, अ० १९३ आचार्य नीलकंठ ने 'चैत्य' की टीका देवमन्दिर की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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