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इन आगमों तथा तत् आधारित ग्रंथों के अतिरिक्त हमारे सम्मुख पाँच चरित्र-ग्रंथ हैं
१-नेमिचन्द्र-रचित महावीरचरियं । २-हेमचन्द्राचार्य-रचित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र पर्व १० ३-गुणचन्द्र-रचित महावीरचरियं '४-शीलांकाचार्य-रचित चउपनमहापुरिसचरियं ५-अमरचन्द्रसूरि-कृत पद्मानन्दमहाकाव्य
पर, इन चरित्र-ग्रंथों में महाकाव्य के गुण अधिक हैं। चरित्र-ग्रंथों के अतिरिक्त कथावलि, उपदेशमाला सटीक, ऋषिमण्डल वृत्ति, भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति, उपदेश प्रासाद, कथाकोष आदि अनेक कथा-ग्रंथों में भगवान् महावीर के छिटफुट संदर्भ मिलते हैं।
भगवान् महावीर जब वर्तमान शासन के स्थापक थे, तो उनके जीवन पर और ग्रन्थ लिखे ही न गये हों, यह मानना ठीक नहीं है। पर कितने ग्रन्थ कितनी अनमोल सामग्री अपने गर्भ छिपाये विलुप्त हो गये, यह कहना कठिन है। __अतः आज जितनी भी सामग्री हमें उपलब्ध है, अनुशीलक को उन्हीं पर संतोष करके अपना कार्य करना पड़ता है। अभी तक जो महावीर-चरित्र लिखे गये या तो वह साधारण पाठक को दृष्टि में रखकर लिखे गये थे या अपने-अपने सम्प्रदाय की मान्यता को ध्यान में रख कर लिखे गये थे। इसका फल यह था कि, विद्वत्-समाज बराबर यह उलाहना दिया करता था कि, आज एक भी ऐसा महावीर-चरित्र नहीं है, जो अनुशीलनकर्ता
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