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________________ आनन्द ४३१ ५०० हल हल पीछे १०० नियट्टण ( निवर्तन ) " इतनी भूमि को छोड़ कर शेष भूमि का प्रत्याख्यान करता फिर शकटों का परिमाण किया- "बाहर देशान्तर में जाने योग्य १० संवाहनिक शकट को छोड़कर शेष शकटों का ५०० शकट और प्रत्याख्यान करता हू उसने फिर बाहनों का प्रत्याख्यान किया और कहा- - " देशान्तर में भेजे जाने योग्य चार वाहन और संवाहनिक चार वाहनों को छोड़कर शेष का प्रत्याख्यान करता हूँ ।" ܘܘܤ יין फिर उपभोग- परिभोग विधि का प्रत्याख्यान किया और कहा" एक गंधकासाई' ( गंधकाषायी ) को छोड़कर शेष सभी उल्लणिया ( जललूपण वस्त्र - स्नानशारी ) का प्रत्यख्यान करता हूँ । १-- इसकी टीका टीकाकार ने इस प्रकार की है -- भूमि परिमाण विशेषो, देश विशेष प्रसिद्ध: । 'निवर्तन' शब्द का अर्थ मोन्योर - मोन्योर विलियम्स संस्कृत डिक्शनरी में दिया है -- २० राड या २०० क्यूबिट अथवा ४०००० वर्ग हस्त परिमाण का भूमि का माप [पृष्ठ ५६०] 'घासीलाल ने उवासगदसाओ के अनुवाद में इसका अर्थ बीघा किया है [ पृष्ठ २७१ ] और डा० जगदीशचन्द्र जैन ने 'लाइफ इन ऐंशेंट इंडिया' [ पृष्ठ १० ] में उसका अर्थ एकड़ कर दिया। यह दोनों ही भ्रामक हैं । बौधायन-धर्मसूत्र ( चौखम्भा संस्कृत सीरीज ) में पृष्ठ २२१ पर निवर्तन शब्द आया है । मत्स्यपुराण ( श्रानन्दाश्रम मुद्रणालय, पूना) में निवर्तन के सम्बन्ध में लिखा है 1 दंडेन सप्तहस्तेन त्रिंशदण्डं निवर्तनम् - अध्याय २८४, श्लोक १३, पृष्ठ ५६६ हेमाद्रि-रचित चतुर्वर्ग चिंतामणि (दान- खंड, भरतचन्द्र शिरोमणिसम्पादित, एशियाटिक सोसाइटी व बंगाल, कलकत्ता, सन् १८७३ ) में इस सम्बन्ध में मारकण्डेय पुराण का भी एक उद्धरण दिया है :दशहस्तेन दंडेन त्रिंशहंडा निवर्तनम् । दश तान्येव गोचर्म्म ब्राह्मणेभ्यो ददातियः ॥ Jain Education International २ - गन्धप्रधाना कषायेण रक्ता शाटिका गन्धकाषायी तस्याः -उवासगदसाओ सटीक पत्र ४-२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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